लोग एवं संस्कृतियां
अंडमानी
कभी अंडमान द्वीप में बसने वाले सभी जनजातियों में से सबसे अधिक जनसंख्या ग्रेट अंडमानी जनजाति की थी l वर्ष 1789 में इनकी जनसंख्या लगभग 10,000 थी l वर्ष 1999 तक इनकी जनसंख्या घटकर मात्र 41 हो गई l इस जनजाति के लोगों को ‘स्ट्रेट द्वीप’ नामक एक छोटे से द्वीप में पुनर्वास किया गया l इनकी परम्परागत खान-पान में मछ्ली, डुगोंग, कछुए, कछुए के अंडे, केकड़ा और कंदमूल शामिल हैं l आज भी ये लोग कभी-कभी शिकार करने जाते हैं l कुछ लोग खेती-बाड़ी करते हैं और कई प्रकार की सब्जियाँ भी उगाते हैं l हाल में इन्होंने मुर्गीपालन का कार्य भी शुरू किया है l इनकी संस्कृति द्वीपों के अन्य जनजाति से बिल्कुल अलग है l
ओंगी
ओंगी जनजाति भारत के सबसे पुराने जनजातियों में से एक है l ये नेग्रिटो स्टॉक का एक हिस्सा है और लिटिल अंडमान के डुगाँग क्रीक तथा साउथ बे के आरक्षित क्षेत्र में रहते हैं l इनकी संख्या भी लगातार घट रही है l ये लोग अर्ध-खानाबदोश है और पूरी तरह प्रकृति द्वारा उपलब्ध भोजन पर निर्भर रहते हैं l इनके जीवन में भी बाहरी लोगों का प्रभाव बढ़ रहा है l इनके साथ किए गए दोस्ताना व्यवहार के प्रयास काफी सफल सिद्ध हुए हैं l इन्हें प्रशासन द्वारा झोपड़ीनुमा पक्का मकान, भोजन, वस्त्र, दवाइयाँ आदि मुहैया कराया जाता है l ये लोग कछुआ, मछ्ली, कंदमूल आदि खाते हैं l ये हस्तकला में भी निपुण होते हैं l ओंगी लोग नाव बना सकते हैं l ओंगियों के डुगोंग क्रीक सेटलमेंट में एक प्राथमिक विद्यालय कार्य कर रहा है l
सेंटीनलीस
सेंटीनलीस नार्थ सेंटिनल आइलैंड के निवासी हैं l यह द्वीप करीब 60 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला है l यह जनजाति विश्व की शायद एकमात्र पेलियोलिथिक(Paleolithic)लोग हैं जो किसी अन्य समूह या समुदाय के संपर्क के बिना आज भी जीवित हैं l इन्हें ओंगी तथा जारवा जनजाति का ऑफ-शूट माना गया है जिसने एक अलग-थलग द्वीप में निवास करके अपनी एक अलग पहचान बनाई है और प्रमुख जनजाति से इनका संपर्क नहीं रहा है l ये जनजाति शत्रुता का व्यवहार करते हैं और कभी अपने द्वीप को नहीं छोड़ते हैं l इनके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है l
जारवा
ये लोग अब दोस्ताना व्यवहार करते हैं और स्वेच्छा से चिकित्सा सहायता की मांग करते हैं l इनके पास अच्छे नाव नहीं है लेकिन ये लोग रॉफ्ट बना सकते हैं जिससे वे नालों को पार करते हैं l वर्ष 1974 जारवा इतिहास की एक प्रमुख घटना है l इस वर्ष फरवरी तथा मार्च में उन्हें उपहार दिए गए l जारवा लोगों से दोस्ताना संबंध स्थापित करने के बाद प्रशासन का संपर्क दल प्राय: इनसे संपर्क करके उन्हें उपहार सामग्री जैसे केले, नारियल तथा अन्य फल आदि देता है l समय के साथ जारवा लोगों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है l वर्ष 1998 के आरंभ तक ये शत्रुता का व्यवहार करते थे लेकिन अब ये लोग प्राय: जंगल से बाहर निकल जाते हैं और बाहरी लोगों से दोस्ताना संबंध रखते हैं l जारवा लोग अपने निवास स्थान से निकल कर स्थानीय लोगों से घुलमिल रहे हैं l इस बात को ध्यान में रखकर कि वे बाहरी दुनिया के साथ संवाद करने के लिए विवश न हो,उन्हें उपहार सामग्री जैसे,केले, नारियल आदि देने के बाद उनके प्राकृतिक निवास स्थान में वापस भेज दिया जाता है l काफी वर्षों से अलग-थलग रहने के बावजूद जारवा काफी स्वस्थ होते हैं l इनकी दमकती त्वचा,घुँघराले बाल, लंबे मजबूत हाथ-पैर तथा कसा हुआ शरीर इस बात का प्रमाण है l खानाबदोश जनजाति होने के कारण ये लोग शिकार, मत्स्यहरण, कंदमूल इकठ्ठा करने जैसे कार्य करके अपना जीवन-यापन करते हैं l इनका परम्परागत भोजन, जंगली सुअर,कछुआ, कछुए के अंडे, केकड़ा, अन्य समुद्री जीव, फल और शहद है l
करेन
अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह में करेन समुदाय की जड़े बर्मा(म्यांमार)से है, इसलिए यह यह उचित होगा कि करेन की उत्पत्ति को एक जनजाति के रूप में पहचान कराया जाए l इतिहास के अनुसार करेन मूलतः सामान्य जनजाति के वंशज हैं l मंगोलियस(Mongolious) शाखा की तीन जातीय समूह हैं, जिसमें से ‘करेन’ एक है l
यहाँ कुल मिलाकर ग्यारह करेन जनजाति है l
- स स ए डब्ल्यू
- पी डब्ल्यू ओ
- पी ए-ओ(ताऊ तू )
- पाखु
- मैन एनई पीडब्ल्यूए
- बवेह
- सफेद करेन
- पदौंग
- ईस्टरू बुवे करनी या कायन
- कांकेर
- जेन बीएएच
अंडमान में करेन लोगों के कुल आबादी लगभग 2000 है l वर्तमान में इनकी बस्तियाँ नौ गाँव,अर्थात, वेबी, दिऊपुर, लटाव, लखनऊ, बर्माडेरा, कर्माटाँग, बोरांग, चिपो तथा पानीघाट में बसे हुए हैं l
अंडमान तथा निकोबार की स्थानीय जनजाति का संस्कृति पैटर्नः-
अंडमान तथा निकोबार की संस्कृति का सबसे विशिष्ट पहलु द्वीपसमूह के स्थानीय लोगों की संस्कृति है l अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह के लोगों को दो प्रमुख समूहों में बांटा जा सकता है l अंडमान के निवासी Negroid origin के हैं और हजारों वर्ष पहले ये अफ्रीका से प्रवासित होकर यहाँ आए थे l
प्रमुख जातीय समूह हैः-अंडमानी, ओंगी,जारवा, सेंटीनलिस l
निकोबार के निवासी भी इनकी तरह पुराने है,यदि बहुत अधिक पुराने न हो l तथापि ये लोग मोंगोलाइड उत्पत्ति के हैं l निकोबार जनजाति की प्रमुख समूह निकोबारी (Nicobarese) और शॉम्पेन हैं l ये जनजातियां अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह में अपनी संस्कृति को संजो कर और सहज कर रखे हैं l इन जनजातियों का अलग-थलग रहना इनकी संस्कॄति को बचाने में सहायक सिद्ध हुई है l