बंद करे

इतिहास

इतिहास

उत्तर और मध्य अंडमान

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

अंडमान तथा निकोबार द्वीसमूह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि महान है l ऐसा कहा जाता है कि ‘अंडमान’ शब्द की उत्पत्ति मलय से हुई थी जो द्वीपसमूह को प्राचीन काल से जानते थे क्योंकि उन्हें यहां से गुलाम मिले थे l मलय लोग समुद्र यात्रा किया करते थे और कुछ आदिम जनजाति के लोगों को पकड़ कर गुलाम बनाकर अपने साथ ले जाते थे l ये लोग इस द्वीपसमूह को ‘हंदुमान’ कहा करते थे क्योंकि जैसा वे रामायण में हनुमान का नाम उच्चारित करते थे,जो अततः ‘अंडमान’ हो गया l

स्वतंत्रता पूर्व का इतिहास

भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस इस द्वीपसमूह में कॉलोनी बनाना चाहते थे l ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अंडमान में कॉलोनी स्थापित करने का फैसला किया l वर्ष 1788 ईसवीं में लेफ्टिनेंट ऑर्किबाल्ड ब्लेयर को ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अंडमान समुद्र का सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त किया l लेफ्टिनेंट ऑर्किबाल्ड ब्लेयर वर्ष 1789 ईसवीं में अंडमान पहुँचे l वे यहाँ कई लोगों के साथ ठहरे और बंदरगाह का नाम उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस के नाम पर रखा l

जापानी आक्रमण

द्वीतीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश जल्दबाजी में इस द्वीपसमूह को खाली करके वीरान छोड़ दिए थे जिसे जापानी सेना ने अपने अधिकार में ले लिया l जापानियों ने इस द्वीपसमूह में वर्ष 1942 से 1945 के बीच चार वर्ष तक बर्बरतापूर्वक शासन किया l इस अवधि के दौरान जापानियों ने पोर्ट ब्लेयर,रटलैंड तथा कार निकोबार में एयरफिल्ड का निर्माण करके पूरी तरह किलेबंदी कर दी l इसके अतिरिक्त जापानियों ने हवाई सुरक्षा नेटवर्क तैयार करने के लिए रेडार एवं तोप लगाए और समुद्र किनारे कंक्रीट के मोर्चे बनाए l 7 अक्टूबर,1945 को सुबह ब्रिगेडियर ए.जे.सोलोमन की अगुवाई में साउथ ईस्ट एशियन अलाईड लैंड फोर्स के 116 भारतीय पैदल ब्रिगेड को लेकर अरमदा ने पोर्ट ब्लेयर को घेर लिया और 9 अक्टूबर,1945 को करीब 20,000 सशस्त्र जापानी सेना को समपर्ण करने के लिए विवश होना पड़ा l 15 अगस्त,1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और यह द्वीपसमूह भारत की मुख्य धारा में शामिल हो गया l

कालापानी का इतिहास

अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह का आधुनिक इतिहास,1857 के 200 विद्रोहियों को जनवरी,1858 में यहाँ लाने के साथ आरंभ होता है l सैल्यूलर जेल (वर्तमान राष्ट्रीय स्मारक) का निर्माण 1896 में आरंभ हुआ और यह जेल 1906 में बनकर तैयार हुआ l वर्ष 1786 में पहली बार इन्होंने अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह की खोज की, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण वे वर्ष 1796 में इस द्वीपसमूह को छोड़कर चले गए l दूसरी बस्तियाँ जो बसाई गई वह मूलतः दंडी बस्त्तियाँ थी,जिसे आज़ादी की पहली लड़ाई के बाद 1858 में बसाया गया l इसके बाद यहाँ पर कैदियों, मोपला, सेन्ट्रल तथा यूनाइटेड प्रांतों के आपराधिक प्रवृति के कुछ जनजातियाँ, पहले के पूर्वी पाकिस्तान,बर्मा, श्रीलंका के शरणार्थियों और भूतपूर्व सैनिकों को बसाया गया l/p>

दंडी बस्ती

वर्ष 1857 में भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध के बाद आरंभ में 200 स्वतंत्रता सेनानियों,जिन्होंने पहली बार भारत में ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने की कोशिश की थी,को यहाँ दंडी कॉलोनी के रूप में बसाया गया l तीन महीने के भीतर स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या बढ़कर 773 हो गई l वर्ष 1869-70 के दौरान कई बहाबी आंदोलनकारियों ने ब्रिटिश शासन के विरूद्ध आवाज़ उठाई जिन्हें भारत के अविभाजित सेंट्रल और यूनाइटेड प्राँतों से अंडमान भेज दिया गया l इनमें से एक था- मुहम्मद शेर अली खान,जो पठान था और जिसने होप टाउन जेट्टी (जिसे अब पानीघाट कहा जाता है ) में 08 फरवरी,1872 को भारत के वॉयसरोय एवं गवर्नर जनरल लॉर्ड मायो की हत्या कर दी थी l बाद में उसी वर्ष ब्रिटिश सरकार ने वाइपर द्वीप में शेर अली खान को फाँसी दे दी l 13 सितम्बर,1893 को भारत की ब्रिटिश सरकार ने 600 कैदियों को रखने के लिए सैल्यूलर जेल निर्माण करने का आदेश दिया l सैल्यूलर जेल के निर्माण से पहले पुरूष कैदियों को वाइपर द्वीप में रखा जाता था जबकि महिला कैदियों को साउथ प्वाइंट बैरक (वर्तमान में होटल सिनक्लेयर के पास) रखा जाता था l